Saturday, April 6, 2013

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विज्ञापन -  करोड़ों का व्यापार


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 आज विज्ञापन करोड़ों / अरबों रुपयों का व्यापार बन गया है ! और हम सब इस व्यापार के सबसे बडे भागीदारी है ! हमारे पागलपन, हमारे दीवानापन, और हमारी अजीब मानसिकता का पूरा फायदा ये कंपनियां और अभिनेता, अभिनेत्री , क्रिकेटेर्स उठा रहे है !अधिकतर विज्ञापन में उत्पाद का जो भी बखान किया जाता है, क्या वो उत्पाद आपको वही परिणाम देते है ? कभी नही ! भारत कि जनसंख्या इतनी अधिक है, कि यदि व्यक्ति विज्ञापन देखकर  एक उत्पाद एक बार ही केवल आजमाने के लिए ले लेता है, और ऐसा पूरे देश के  लाखो, करोडो लोग करते है, तो कम्पनी को लाभ होने लगता है ! आप अधिकतर कोई उत्पाद इसलिए खरीदते है क्योकि विज्ञापन कोई अभिनेता कर रहा है और उस अभिनेता ने कहा है कि ये अच्छा है इसलिए अच्छा ही होगा ! आपने कभी सोचा है कि उस अभिनेता को उस विज्ञापन के आजकल कितने रुपये मिलते है ? और उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा हमने दिया है ! आज एक उत्पाद की लागत और कीमत में बहुत बड़ा अन्तर होता है जो केवल विज्ञापन के कारण होता है ! एक साबुन की लागत पाँच रुपये से लेकर दस रुपये तक ही आती है किन्तु बाज़ार में आकर वही साबुन तीस रुपये से लेकर पचास रुपये तक का  हो जाता है ! याने कई गुना ज्यादा पैसा हमे देना पड़ता है ! उत्पाद की कीमतों पर सरकार भी कोई लगाम नही लगा पा रही है, अर्थात हमे ही बाज़ार के तेवरों को को समझ कर, चतुराई से खरिदारी करना सीखना होगा ! कई बार तो हम पड़ोसी की नकल करने के चक्कर में महँगा समान खरीद लेते है और अपना बजट बिगाड लेते है !दोस्तों, जो कम्पनी अपने उत्पाद का कम विज्ञापन करती है या नही करती है, क्या वे उत्पाद खराब होते है ? कभी नही ! वे उत्पाद भी  गुणवत्ता वाले ही होते है और सस्ते भी ! एक विज्ञापन में यह कहा गया है कि " खरीददारी  में ही समझदारी है", किन्तु आज हमे  "समझदारी की खरीददारी" करना चाहिये ! और किसी भी भावुकता या प्रतियोगिता में न पड़कर, जो बहुत आवश्यक हो या सही कीमत में हो वही खरीददारी करना चाहिये !