Thursday, September 25, 2014

थायरायड में क्या खाएं क्या ना खाएं

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थायरायड ग्रंथि, वह ग्रंथि है जो हार्मोन बनाती है और जो ऊर्जा उत्पादन और चयापचय के लिए बहुत आवश्यक हैं। इसलिए इस पर आपके द्धारा लिए गए खाद्य पदार्थ का बहुत असर पड़ता है लेकिन जब आप थायराइड की परेशानी से जूझ रहे होते हैं तब खाद्य आपके दोस्त भी हो सकते है और दुश्मन भी।
यह इस बात निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का भोजन करते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे होते है जो थायराइड को हार्मोन का उत्पादन करने में बाधा उत्पन्न करते है इसलिए इन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। ताकि थायराइड के लक्षणों जैसे सुस्ती, अवसाद, कब्ज, और वजन आदि को कम करने में मदद मिल सकें। आइए हम आपको बताते है कि आपको कौन-कौन से खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
थायराइड को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थ
ग्लूटेन-सेंसिविटी फूड- गेहूं और अन्य अनाज जैसे राई, जौ, बाजरा, और जई हैं। ग्लूटेन-सेंसिविटी और थाइराइड फंक्शन में संबंध होता है। और यदि आपका थायरायड ठीक नही है, तो आपका ग्लूटेन-सेंसिविटी का सेवन सीमित हो जाएगा। बाजरा में गोइत्रोगेंस होता है, और अगर आप अपने थायरायड के बारे में चिंतित हैं तो इनका सीमित उपयोग ही करना चाहिए।
सलीबधारी सब्जियों- सलीबधारी सब्जियां जैसे ब्रोकोली, शलजम, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और गोभी। ये सब्जियां थायराइड के रोगी के लिए अच्छी नहीं हैं। बेहतर होगा कि इनसे जरा दूर ही रहा जाए।
सोया- सोया एक शक्तिशाली भोजन है। सोया का एक छोटे सा हिस्सा अगर रोज अपने खाने में लिया जाए तो यह थाइराइड फंग्शन का दमन करने के लिए पर्याप्त है। पर इसका ज्यादा सेवन करना आपके थायरायड के लिए ठीक नही है और सबसे खराब खाद्य पदार्थों में से एक माना जाता है क्योंकि यह चयापचय के लिए हानिकारक होता है।
रिफांड खाद्य पदार्थ- थायराइड की बीमारी के साथ लोगों को परिष्कृत खाद्य पदार्थ जैसे सफेद ब्रेड, पास्ता, चावल और फलों के रस जिसमें शुगर की मात्रा ज्यादा हो ऐसे पेय पदार्थों से बचना चाहिए। परिष्कृत या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से थायराइड की दर में वृद्धि होती है और जिससे आहार से चीनी खून में प्रवेश करती है। आपकी पैंक्रियास से इंसुलिन के रहस्य का पता रक्त में शर्करा से लगता है। थायरायड ग्रंथि इंसुलिन हार्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करता है, जबकि अतिरिक्त इंसुलिन का उत्पादन चीनी के द्धारा थाइराइड के लक्षण को बदतर बना सकता हैं।

क्या खाएं कि कान का दर्द ठीक हो जाए

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ईयर वैक्‍स: इसे कानों का मैल भी कहते हैं। इसके कारण सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। ईयरवैक्‍स कानों के कैनाल में होता है। कान के अंदर 24 मिलीमीटर की एक्सटरनल ऑडिटरी कैनाल होती है। इसमें सेरुमिनस और नाइलोसीबेशियस नामक ग्रंथियां पायीं जाती हैं, इनके स्राव से वैक्स यानी मैल बनती है। वैक्स की मात्रा प्रत्‍येक व्‍यक्ति में अलग-अलग हो सकती है। अगर वैक्स मात्रा अधिक हो जाये तो इससे कान की कैनाल बंद हो जाती है।

ईयरवैक्‍स के कारण
यह कानों से संबंधित एक समस्‍या है। इस समस्‍या से केवल भारत में ही लगभग 6 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। कानों में अगर किसी नुकीली सुई से सफाई के दौरान भी कान में वैक्‍स बनने शुरू हो जाते हैं। ईयरफोन के इस्‍तेमाल के कारण भी वैक्‍स बनते हैं।
सुनने में परेशानी
ईयर वैक्‍स का सबसे शुरूआती लक्षण सुनने में परेशानी के रूप में दिखता है। इसके कारण व्‍यक्ति के सुनने की क्षमता कम हो जाती है। क्‍योंकि वैक्‍स के कारण कानों में आवाज सही तरीके से नहीं जाती है। यह कान के कैनाल के ऊपर एक परत की तरह जम जाती है।
दर्द होना
ईयर वैक्‍स के कारण कानों में दर्द होने लगता है। कानों में दर्द की समस्‍या हमेशा बनी रहती है, यह दर्द 24 घंटे के लिए भी हो सकता है। शुरूआत में हल्‍का दर्द होता है, जो धीरे-धीरे बढ़ जाता है।
चक्‍कर आना
कानों में होने वाली इस समस्‍या का असर दिमाग पर भी पड़ता है। चक्‍कर आना भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। इसके अलावा कान में अक्‍सर सांय-सांय की आवाज भी आती है।
ईयरवैक्‍स का उपचार
कान में वैक्स जमा होने की समस्‍या को सामान्‍य नहीं लेना चाहिए, इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जिनके कान में बनने वाली वैक्स हार्ड हो जाती है उसे वैक्स डिजोल्व करने वाली दवाई से नरम किया जाता है, फिर उसे निकाला जाता है।
कानों की सफाई
यदि वैक्‍स बनने के लक्षणों का पता शुरूआत में ही चल जाये तो अपने से आप उसकी सफाई कर सकते हैं। अगर वैक्स ज्यादा मात्रा में बनती है तो साल में कम से कम एक बार वैक्स जरूर साफ करवानी चाहिए।
इनसे बचें
कानों में वैक्‍स की समस्‍या न हो इसके लिए कुछ चीजों से बचाव बहुत जरूरी है। कानों में तेल न डालें क्‍योंकि इससे संक्रमण हो सकता है। ईयर बड से भी सफाई न करें, यह वैक्स को और अंदर की तरफ धकेलता है। सड़क पर चलने वाले, स्टेशन या बस अड्डे पर बैठे कान साफ करवाने वालों से सफाई बिलकुल न करायें, यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
सुनने की क्षमता बढ़ाने वाले आहार
आधुनिक जीवन में आने वाले परिवर्तन विशेष रूप से इयरफोन पर लगातार सुने जाने वाले संगीत के कारण लोगों में सुनने की क्षमता कम होती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक समय तक ऊंचा संगीत सुनने या बहुत अधिक शोर वाली जगह पर अधिक समय व्‍य‍तीत करने से व्‍यक्ति की सुनने की क्षमता कम होने लगती है। लेकिन अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार को शामिल कर इस समस्‍या को रोका जा सकता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड
सामन, ट्यूना, ट्राउट या सार्डिन में आमतौर पर उच्‍च मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। सुनने की क्षमता कम होने पर इसके अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है। अध्ययन से पता चला है, कि सप्ताह में दो बार मछली खाने वाले वयस्कों में मछली ना खाने वालों की तुलना में उम्र से संबंधित सुनवाई हानि का सामना 42 प्रतिशत तक कम होता है। शोधकर्ताओं का दावा है, कि ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि ओमेगा-3 फैटी एसिड कान के संवेदी प्रणाली में रक्त वाहिकाओं को मजबूत करती है। मछली आपके कान की अच्‍छी मित्र है।
एंटी ऑक्सीडेंट और फोलिक एसिड
एंटीऑक्‍सीडेंट का नियमित सेवन, विशेष रूप से पालक, शतावरी, सेम, ब्रोकोली, अंडे, जिगर या नट्स में पाया जाने वाला फो‍लिक एसिड सुनने की क्षमता की हानि के जोखिम को कम करते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट कान के भीतरी ऊतकों को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कण को रोकने में मदद करता है।
मैगनीशियम
नट, विशेष रूप से बादाम, काजू और मूंगफली, साथ ही दही, आलू और केले मैग्नीशियम के बहुत अच्‍छे स्रोत है। अध्‍ययन के अनुसार, यह सुनने की क्षमता कम होने का आम प्रकार यानी शोर प्रेरित सुनने की हानि (एनआईएचएल) को रोकने में मदद करता है।
जिंक
आप जिंक की स्‍वस्‍थ खुराक लेकर, उम्र के कारण होने वाले सुनने की क्षमता में कमी को आसानी से रोक सकते हैं। यह कानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जिंक समुद्री भोजन जैसे कस्‍तूरी, केकड़ा और झींगा और साथ ही पनीर और डार्क चॉकलेट में पाया जाता है।
विटामिन सी, ई और ग्‍लूटेथियोन
एंटीऑक्सीडेंट की तरह विटामिन सी/ई मुक्त कणों की देखभाल करता है, और आपकी समग्र प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। इस प्रकार से यह कान में होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करता है। यह विटामिन आपको आसानी से सब्जियों (जैसे शिमला मिर्च) और फल (जैसे संतरे) में मिल जायेगें।
विटामिन डी
विटामिन डी, प्राकृतिक रूप से बहुत कम खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, लेकिन वजन नियंत्रण से हड्डी गठन को लेकर स्वास्थ्य के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण होता है। अभी हाल ही में हुए अध्‍ययन से पता चला है कि यह सुनने की क्षमता के नुकसान की रोकथाम में भी सहायता करता है। विटामिन डी में विद्यमान एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कान में मौजूद छोटी हड्डियों को मजबूत बनाते है। विटामिन डी आपको सूरज की रोशनी, मशरूम, माइक्रोएलगी, और लाइकेन से मिलता है।
अल्फा लिपोइक एसिड
अल्फा लिपोइक एसिड एक एंजाइम और एंटीऑक्‍सीडेंट है, जो शरीर में थोड़ी मात्रा में बनता है और हमारे खाद्य पदार्थों से थोड़ी मात्रा में मिलता है। यह मुक्त कणों के नुकसान से सुनने की क्षमता का बचाव करता है, तंत्रिका तंत्र के कार्य का समर्थन करता है और भीतरी कान के बालों की कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया उत्पन्न में मदद करता है। यह पालक, मीठे आलू, और ब्रोकोली में पाया जाता है।

Wednesday, September 17, 2014

होने वाला है महा विनाश! -महाविनाश की वह तारीख है 7 नवंबर 2041-आइए जानें पं. दीपक दुबे के शब्दों में कि कैसा होगा यह विनाश।

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महाविनाश के कई चेहरे देखे हैं इस भूमि ने, पर इससे पहले इतना बड़ा महाविनाश कभी नहीं देखा होगा। यहाँ तक कि डायनासॉर की दुनिया ख़तम होने से पहले भी ऐसा विनाश न हुआ होगा। हाँ, वह पृथ्वी पर महाविनाश ही था। अब एक और भयावह महाविनाश की संभावनाएं बन रही हैं। आइए जानें पं. दीपक दुबे के शब्दों में कि कैसा होगा यह विनाश।


होगा महाविनाश! धरती और आसमान काँप उठेंगे! प्रकृति का सबसे भयानक रूप देखने को मिलेगा! ऐसा योग ज्ञात हजारों वर्षों में कभी नहीं आया! यह ऐसा समय होगा, जैसे सृष्टि का रचयिता इसे स्वतः ख़त्म करना चाहता हो! अब तक के ज्ञात तथ्यों और ग्रहों की स्थिति के आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि, महाभारत, दोनों विश्व युद्ध, अब तक के सबसे भयानक समुद्री तूफान, अब तक के सबसे शक्तिशाली भूकम्प, किसी भी समय ग्रहों की युति और योग इतना भयावह नहीं था।

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भूगर्भ शास्त्री तथा वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी अपना ध्रुव बदलती है जो लाखों या करोड़ों वर्षों में एक बार होता है। आज के हिमालय और द्वीप कभी जल के अंदर विलुप्त थे और हिमालय से ऊँचे पर्वत वर्तमान में जल में विलुप्त हैं। वैज्ञानिकों के कथन को आधार मानकर यह कहा जा सकता है कि जब कभी भी ऐसा मंजर आया होगा, पृथ्वी पर कुछ भी नहीं बचा होगा।

अब तक के ज्ञात तथ्यों के आधार पर पृथ्वी पर जो सबसे बड़ी आपदा आई वो डायनासोर के विलुप्त होने के काल की है। डायनासोर जिन्होंने पृथ्वी पर २० करोड़ वर्ष पूर्व से लेकर लगभग ६ करोड़ वर्ष तक अपना वर्चस्व कायम रखा था और वे पृथ्वी के सबसे खूंखार और जघन्य प्राणी थे, उनके विलुप्त होने का कारण पृथ्वी से किसी उल्का पिंड की सीधी टक्कर को माना जाता है।

उस समय पृथ्वी के लगभग 95 प्रतिशत जीव ख़त्म हो गए थे। उस समय पृथ्वी पर उतना पानी नहीं था जितना अब है। आज पृथ्वी लगभग 70 प्रतिशत जल से घिरी हुई है, अतः यदि अब पृथ्वी पर कोई उस तरह की घटना हुई तो ज्वालामुखी और भूकम्प से भी कई गुना अधिक जल से तबाही मचेगी।

यह तो सर्वविदित है कि पूर्णिमा और अमावस्या में ही उच्च ज्वार आते हैं, अर्थात सबसे ऊँची लहरें उठती हैं। एक नहीं सैकड़ों ऐसे उदहारण हैं कि ग्रहण से पूर्व या ग्रहण के बाद अवश्य ही कोई ना कोई घटना घटित होती है। ग्रहण जितना प्रभावी होता है और सूर्य-चन्द्रमा पर राहु-केतु के अलावा जितने अधिक पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, परिणाम भी उतना ही भयावह होता है।

इतिहास की कुछ बड़ी घटनाओं और उस समय की ग्रहों की स्थिति का वर्णन मैं यहाँ करना चाहूँगा:

ग्रहों की दृष्टि और घटनाओं की समानता को देखा जाये तो बहुत ही विभत्स और भयानक मंजर महाभारत काल में हुआ था। भयानक रक्त पात हुआ था उस समय भी, धरती काँप उठी थी, इतिहासकारों के अनुसार अक्टूबर माह, 3104 ईसा पूर्व में यह युद्ध हुआ था। उस माह 3 ग्रहण पड़े थे, 6 ग्रह - सूर्य, चन्द्रमा, बुधगुरु, राहु, शनि - या तो साथ थे, या बहुत करीब थे। सूर्य, राहु से ग्रसित था, उसपर केतु और मंगल एक दूसरे के साथ अंगारक योग बना रहे थे। साथ ही इन दोनों मारक ग्रहों की सीधी दृष्टि, ग्रहण और शनि दृष्टि युत, सूर्य पर थी। परिणाम स्वरूप भीषण युद्ध हुआ, प्राकृतिक आपदाओं का भी ज़िक्र है कहीं-कहीं। यह सब कुछ किसी एक दिन के ग्रहों का परिणाम नहीं था, बल्कि कई वर्षों से ये भूमिकाएँ बन रही थीं।

लगभग ऐसा ही कुछ समय १९४२ से १९४८ का था, जब भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व, द्वितीय विश्व युद्ध के चपेट में था। १९४७ के वर्ष में भी नवम्बर माह में 12 और 28 तारिक को सूर्य और चन्द्र ग्रहण पड़े। उस समय सूर्य, राहु, बुध, मंगल, चन्द्रमा, और शनि जून माह में एक दूसरे के बहुत ही करीब थे, जो कुछ समय पहले और कुछ समय बाद तक भी एक दूसरे के आस पास बने रहे।


यहाँ यह बताना उचित समझूँगा कि इसी वर्ष के अक्टूबर माह में इतिहास की जानकारी के अनुसार अभी तक का सबसे भयानक समुद्री तूफान भी आया था। जिसकी रफ़्तार करीब 250 किमी प्रति घंटे थी। वर्ष १९४५ और १९४७ में पूरी दुनिया में सबसे अधिक और भयानक तूफान आये। ज्ञात तथ्यों के आधार पर १९४२ से लेकर १९४७ के बीच द्वितीय विश्व युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के कारण पूरी दुनिया में करीब 10 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए थे।

ऐसा ही भयानक मंजर १९७१ में पुनः आया, जब बांग्लादेश का बँटवारा हुआ। एक अनुमान के मुताबिक करीब ३ से ५ लाख लोग मारे गए थे और कई लाख लोग विस्थापित हो गए थे।

बांग्लादेश का युद्ध मार्च १९७१ से प्रारम्भ हुआ था। जिससे ठीक ४ महीने पहले अर्थात नवंबर,१९७० में पूर्वी पाकिस्तान में अब तक के वर्तमान इतिहास का सबसे भयानक "भोला" नामक समुद्री तूफान भी आया था। जिसमें एक अंदाज़ के मुताबिक करीब ५ लाख लोग मारे गए थे। पूरी फसल, पशु-पक्षी, सबकुछ तबाह हो गया था। साथ ही यह भी बता दूँ कि १९७१ में भी भयानक तूफान, सुनामी, और ८.१ तीव्रता तक का भूकंम आया था। अब ग्रहों की स्थिति भी देख लें। 

एक बार पुनः सूर्य-केतु-चन्द्रमा-बुध-शुक्र एक दूसरे के पास, सूर्य-चन्द्रमा-केतु एक साथ ग्रहण योग में, राहु और मंगल एक साथ, सूर्य और चन्द्रमा के ऊपर राहु, मंगल और शनि की पूर्ण दृष्टि।

तारीख
घटना
मारे गए लोगो की संख्या
ग्रहों की स्थिति
26 दिसम्बर 2004
सुमात्रा , इंडोनेशिया में आयी इतिहास की सबसे बड़ी सुनामी , भूकम्प की तीव्रता 9.1  
लगभग २ लाख ३० हज़ारकेतु, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु और शुक्र एक दूसरे के बेहद करीब, शनि - चन्द्रमा एक दूसरे पास।

चन्द्रमा राहु के नक्षत्र में, सूर्य केतु के नक्षतर् में, मंगल शनि के नक्षत्र में,राहु केतु के नक्षत्र में और केतु मंगल के नक्षत्र में। अर्थात भयानक तबाही
27 अगस्त 1883इंडोनेशिया , भयानक ज्वालामुखी विस्फोट , सुनामी और भूकम्प40 हजार से ज्यादा
केतु, शनि, मंगल, चन्द्रमा, गुरु एक दूसरे के बेहद करीब। सूर्य, राहु, बुध और शुक्र एक दूसरे के बेहद करीब।
सूर्य, केतु के नक्षत्र में, चन्द्रमा और मंगल राहु के नक्षतर् में, शुक्र भी केतु के नक्षत्र में और शनि चन्द्रमा के नक्षत्र में, साथ ही राहु केतु के नक्षत्र में और केतु राहु के नक्षत्र में।
9 अगस्त 1138सीरिया - भयानक भूकंपकरीब २ लाख ३० हजारमंगल, केतु और चन्द्रमा एक साथ। मंगल और केतु दृष्टि सूर्य और गुरु पर।

सूर्य केतु के नक्षतर् में और चन्द्रमा राहु के नक्षत्र में साथ ही शनि राहु के नक्षतर् में और केतु सूर्य के नक्षत्र में, अर्थात सूर्य केतु में और केतु सूर्य में।
23 जनवरी 1556चीन, इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप8 लाख 30 हज़ार


सूर्य, चन्द्रमा, मंगल शनि की राशि में, चदंरमा और मंगल राहु के नक्षत्र में। मंगल राहु में और राहु मंगल के नक्षत्र में।
मंगल और शनि दोनों की ही दृष्टि राहु पर।
केतु, सूर्य, गुरु, बुध और शुक्र एक दूसरे के बेहद करीब।
मंगल, चन्द्रमा और शनि एक दूसरे के करीब और राहु से दृष्टि सम्बन्ध।
22 मई 1927चीन, भयानक भूकम्प२ लाख से ज्यादाकरीब 10 अंशो के भीतर सूर्य, राहु, मंगल, बुध और शुक्र। चन्द्रमा और केतु एक साथ और शनि के बेहद करीब
6 और 9 अगस्त 1945
जापान, हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु बम विस्फोट
३ लाख से ज्यादा तत्काल मौत और लाखों आजतक प्रभावित30 अंशो के भीतर सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहु, शनि और शुक्र, अर्थात 6 ग्रह एक दूसरे के बिलकुल पास।

उपरोक्त उदाहरणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जब कभी अधिकतम ग्रह राहु या केतु के समीप हों, सूर्य और चन्द्रमा भी राहु या केतु के प्रभाव में हों, उनसे किसी भी प्रकार का मंगल और शनि का सम्बन्ध स्थापित हो रहा हो तो भयानक विनाश लीला हुई है। इन सभी घटनाओं का जिक्र मैंने तारीख, ग्रहों की स्थिति और होने वाले भयानक परिणामों के साथ इसलिए किया कि पृथ्वी पर होने वाले विनाश और ग्रहों का खेल आपको समझने में मदद मिले।

अब आपको उस तारीख के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिस तारीख को ऊपर दिए हुए विनाशकारी तारीखों से भी कई गुना अधिक भयानक दुर्योग है। उस दिन के ग्रहों की स्थिति निचे दी जा रही कुंडली के माध्यम से दिखा रहा हूँ -


ग्रहों की युति देखिये -


  1. उच्च के शनि के साथ नीच का सूर्य, साथ में बुध, गुरु, शुक्र और केतु। अर्थात 6 ग्रह एक साथ (अत्यंत ही दुर्लभ और दुष्कर योग है यह जब 6 ग्रह एक साथ हों )
  2. सूर्य केतु के कारण ग्रहण योग में।
  3. चन्द्रमा, राहु के साथ और ग्रहण योग में।
  4. नीच का मंगल।
  5. नीचस्थ मंगल की चतुर्थ पूर्ण दृष्टि सूर्य, केतु और शनि पर, अर्थात भयानक विनाश।
  6. उचस्थ शनि की दशम पूर्ण दृष्टि मंगल पर।
  7. अर्थात 9 ग्रहों में से 6 ग्रह एक साथ, २ ग्रह एक साथ और नीचस्थ मंगल अकेला।
  8. चन्द्रमा केतु की नक्षत्र में।
  9. बुध, गुरु और शुक्र तीनों ही शुभ ग्रह राहु के नक्षत्र में और तीनों ही अस्त।
  10. शनि मंगल के नक्षत्र में।
  11. राहु, केतु के नक्षत्र में तथा केतु, राहु के नक्षत्र में।
  12. योग व्यतिपात अर्थात अत्यंत ही दुर्योगकारी, तिथि पूर्णिमा।

ऐसा दुर्योग मैंने अब तक इतिहास के किसी भी बुरे से बुरे विध्वंसकारी दिनों में भी नहीं देखा। अब आपको इस महाविनाशकारी तारीख का भी इंतजार होगा। तो चलिए मैं आपको बता दूँ कि ग्रहों का यह महाविनाशकारी योग जिस तारीख को बन रहा है, वह अब से करीब 27 वर्षों बाद आने वाली है।

महाविनाश की वह तारीख है 7 नवंबर 2041

कृष्ण के अवतार के बाद महाविनाश हुआ था, और कृष्ण को ही पूर्णावतार माना गया है। 15 सितम्बर 2014 को महावतार होने की भविष्यवाणी जो मैंने की है, उसका सम्बन्ध ज़रूर इस दिन से होगा। 

इस अद्भुत बच्चे के जन्म के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें: इस सितम्बर बन रहा है सहस्राब्दी का सबसे अद्भुत योग - भाग २

क्या - क्या हो सकता है इस तारीख को इसकी भी जानकारी मैं आपको अपने लेख “महाविनाश का दिन - भाग 2 “ में देने का प्रयास करूँगा।

पं दीपक दूबे 

Friday, September 12, 2014

उत्तर दिशा की ऒर सिर करके क्यो सोना नही चाहिये.

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  • मुर्दे को उत्तर दिशा में सर रखकर जलाने का विधान है 
  • इसलिए उत्तर दिशा में सर रखकर सोने से मृत्यु तुल्य कष्ट होता है या बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है 
  • माँ पर्वती ने अपने शारीर के मैल से गणेश जी उत्त्पति की, माँ पारवती जब नहा रही थी तब गणेश जी द्वार पर पहरा दे रहे थे,उसी समय अपने घर में भगवान शिव ने प्रवेश किया और दोनों एक दुसरे को न पहचान कर युद्ध करने लगे,इस युद्ध में भगवान शिव ने गणेश जीका सर कट कर अलग कर दिया,माँ पार्वती की जिद में भगवान शिव ने अपने अनुचरों को आदेश दिया कि जो भी व्यक्ति उत्तर दिशा कि ओर सिर करके सो रहा हो उसका सिर ले करके आओ.उस समय वास्तु का प्रचालन रहा होगा इसीलिए कोई भी व्यक्ति उत्तर दिशा कि ओर सिर करके सोता हुवा नही मिला. एक हाथी का बच्चा उत्तर दिशा में सिर करके सो रहा था ,भगवान शिव के अनुचरों ने उसी हाथी के सर को लाकर भगवन शिव को दिया और उसी हाथी के सिर से गणेश जी कि उत्त्पति हुयी. इसलिए सोते समय हमको सावधान रहना चाहिए क्योंकि उपर  देवता लड़ाई कर रहे हों और बेवजह हमे मृत्यु का देवता उठा के ले जाये 
  • इसलिए उत्तर दिशा की और सर करके किसी को भी सोने न दें 
  • अगर आपके जान पहचान में कोई बीमार हो तो उत्तर में सिर करके सोने से मना करें