Monday, October 13, 2014

कभी सोचा है, आपके मरने के बाद आपके आॅनलाइन अकाउंट्स का क्या होगा

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From The Bhaskar-

नई दिल्ली। आज हमारी लाइफ में इंटरनेट का बहुत बड़ा रोल है. हम शॉपिंग से लेकर बैंकिंग जैसे महत्वपूर्ण काम इटरनेट की मदद से करते हैं. इंटरनेट हमारी लाइफ का एक अहम हिस्सा बन गया है.
इंटरनेट पर हमारी अटेंडेंस किसी ना किसी अकाउंट के जरिए से होती है. जिससे हम इंटरनेट पर अपनी जरूरतों के काम करते हैं लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद इंटरनेट पर मौजूद उसके अकाउंट्स का क्या होता है.
अगर आपने अभी तक नहीं सोचा है तो हम आपको यही जानकारी देने जा रहे हैं कि किसी व्यक्ति के इस दुनिया से चले जाने के बाद इंटरनेट की दुनिया में उस व्यक्ति की वर्चुअल लाइफ का क्या होगा.
आपके मरने के बाद आपके सोशल साइट्स के अकाउंट्स का एक्सेस कोई भी नहीं कर सकता. इसको लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं कि क्या आपके पति या आपकी पत्नी को आपकी मौत के बाद आपके सोशल मीडिया अकाउंट में एक्सेस होना चाहिए? क्या किसी बच्चे की मौत के बाद बाद उसके पैरेंट्स को उसके अकाउंट में ऑटोमेटिक लॉग इन मिलना चाहिए या नहीं ?
आज हम आपको बताएंगे कि फेसबुक. ट्विटर और गूगल जैसी बड़ी सोशल मीडिया साइट्स की ‘आफ्टर डेथ पॉलिसीज़’ क्या हैं. कुछ देशों में तो सोशल साइट्स पर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके करीबी को अपने आप अकाउंट एक्सेस देने के बाकायदा कानून लाने की बात कही जा रही है.
जी मेल और गूगल प्लस जैसी सर्विस देने वाली कंपनी गूगल “inactive account manager” नाम का टूल उपलब्ध करवाती है जिसकी मदद से आप यह मैनेज कर सकते हैं कि आपकी मौत के बाद आपके अकाउंट का क्या हो.
यहां आप एक टाइम लिमिट (6 महीने या 12 महीने) तय कर सकते हैं जिसके बाद आपके के अकाउंट का सारा डाटा ऑटोमेटिक्ली डिलीट कर दिया जाएगा.
इसके अलावा आप किसी व्यक्ति को नॉमिनेट भी कर सकते हैं जिसे आपके सारे मेल मिलते रहेंगे. इस सर्विस की मदद से आप केवल जीमेल ही गूगल की किसा भी सेवा को कवर कर सकते हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक आपके मरने के बाद आपके किसी भी रिश्तेदार को अकाउंट का एक्सेस नहीं देती है. इसकी जगह आपके चाहने वाले फेसबुक से आपके अकाउंट को “memorialized” करने की रिक्वेस्ट कर सकते हैं.
इसका मतलब यह है कि किसी भी सूरत में आप के अकाउंट में कोई भी लॉगइन नहीं कर सकता, ना ही आपके अकाउंट से किसा भी तरह की कोई छेड़छाड़ कर सकता है. किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके नाम को “people you may know” या suggesting friends की लिस्ट में नहीं दिखाता है.
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद अगर उससे जुड़ा कोई व्यक्ति ट्विटर को इसकी जानकारी देता है तो ट्विटर उस अकाउंट को डिएक्टिवेट कर देता है. इसके मृत व्यक्ति का डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है क्योंकि बहुत से ट्विटर अपने असली नाम से नहीं होते हैं.
इसके अलावा कंपनी मरने वाले व्यक्ति से जुड़ी कुछ और जानकारियां भी मांगता है. जानकारी देने के तीस दिन बाद ट्विटर उस अकाउंट को पर्मानेंटली डिएक्टिवेट कर देता है. इसके अलावा ट्विटर एपलीकेशन देने वाले व्यक्ति की इच्छानुसार मरने वाले व्यक्ति के फोटोज़ भी हटा देता है.

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