Monday, October 7, 2013

अनादि, अनन्त शिव और शक्ति की महिमा

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आज सोमवार और नवरात्रि के तीसरे दिन आईए समझते हैं अनादि, अनन्त  शिव और शक्ति की महिमा| कोई भी पूजा तभी सार्थक होती है जब हम विधि विधान द्वारा सच्चे मन से उसके महत्व को समझते हुए प्रभु का ध्यान करे| इसलिए नवरात्रि पर भगवन शिव और माँ शक्ति के स्वरुप को समझना अनिवार्य है|


शिव और शक्ति  एक दुसरे के पुरक हैं। साथ ही साथ वे पुरूष एवं स्त्री के सामान महत्व का भी उपदेश देते है। शिव के बिना शक्ति का अथवा शक्ति के बिना शिव का कोई अस्तित्व ही नहीं है। शिव नर के द्योतक हैं तो शक्ति नारी की। पुरुष (शिव) एवं स्त्री (शक्ति) का एका होने के कारण शिव नर भी हैं और नारी भी, अतः वे अर्धनरनारीश्वर हैं|
 शिव अकर्ता हैं। वो संकल्प मात्र करते हैं; शक्ति संकल्प सिद्धी करती हैं। 


शिव कारण हैं; शक्ति कारक।
शिव संकल्प करते हैं; शक्ति संकल्प सिद्धी।
शक्ति जागृत अवस्था हैं; शिव सुशुप्तावस्था।
शक्ति मस्तिष्क हैं; शिव हृदय।
शिव ब्रह्मा हैं; शक्ति सरस्वती।
शिव विष्णु हैं; शक्त्ति लक्ष्मी।
शिव महादेव हैं; शक्ति पार्वती।
शिव रुद्र हैं; शक्ति महाकाली।
शिव सागर के जल सामन हैं। शक्ति सागर की लहर हैं।

 
शिव सागर के जल के सामान हैं तथा शक्ति लहरे के सामान हैं। लहर जल का वेग है। जल के बिना लहर का क्या अस्तित्व है? और वेग बिना सागर अथवा उसके जल का? यही है शिव एवं उनकी शक्ति का संबंध। 

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