Thursday, July 9, 2015

तनाव, तनाव और तनाव - उपाय आपके ही पास है !!

Today's Blog

आलेख-आशुतोष जोशी--

यह आलेख आप सभी लोगो के लिए महत्वपूर्ण है, क्योकि इस आलेख को पढने के बाद मुझे उम्मीद है कि आप-लोगो को तनाव में धैर्य और विवेक से काम लेने के बारे में एक रास्ता मिलेगा और आप अपनी जिंदगी बेहतर बना सकेंगे ! किंतु इस आलेख को पूरा पढने का तनाव तो आपको झेलना ही पड़ेगा.  

तनाव, तनाव और तनाव - उपाय आपके ही पास है !! जी हां.आपको 90% मामले में तनाव दूर् करने के लिए कही इलाज कराने जाने कि जरूरत नही. किंतु गहरे अवसाद की स्थिति में, मानसिक असंतुलन की स्थिति में या फिर किसी मानसिक बीमारी कि स्थिति में इलाज की जरूरत जरूर है, और वो भी सही वक्त पर. 

तनाव ( STRESS, TENSION, BURN OUT) के बारे में रोज़ कई आलेख प्रकाशित हो रहे है. इंटरनेट पर यदि आप खोजेंगे तो हजारों में आलेख मिलेंगे जिनमें कहा गया है कि तनाव को अपने जीवन से कैसे दूर् रखे या, कि तनाव की स्थिति से कैसे निपटना चाहिये ?

यदि मैनेजमेंट की भाषा में कहे तो हर व्यक्ति को एक निश्चित स्तर का तनाव ( A certain level of stress ) तो जरूर होना चाहिये, वरना वो व्यक्ति लापरवाह कह्लायेगा.  जिसे हम जिम्मेवारि ( Responsibility ) कहते है, वो असल में एक तनाव ही है जो हमारे दिमाग में होना जरूरी है !

इस बात को एक उदाहरण से समझते है. जैसे कि आपको आपके बॉस ने कोई काम दिया, या घर पर आपके पिता ने कोई काम दिया. आप यदि एक जिम्वेवार व्यक्ति है तो काम को करने के लिए तब तक प्रयत्नशील रहेंगे जब तक वो पूरा हो नही जाता. यदि उस काम को करने में कोई परेशानी है, कोई रुकावट है, तो आप बॉस या पिताजी से चर्चा करके हल निकालेंगे !

किन्तु एक लापरवाह व्यक्ति इस बात की चिन्ता ही नही करेगा कि उसे कोई काम दिया है और वो पूरा करना है. वो व्यक्ति अपने में ही मस्त रहेगा,! अर्थात  लापरवाह व्यक्ति के तनाव का स्तर बहुत कम होता है !

मै आप सभी को तनाव से निपटने के आसान और व्यावहारिक उपाय बता रहा हूँ. किन्तु यहा यह बात बताना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हमे ऐसा कोई काम नही करना चाहिये जिससे हम तनाव को आमंत्रण दे. यह एक आवश्यक सलाह है जो लोग नही मानते है और बाद में पछ्ताते है ! 

उदाहरण के लिए, शराब पीकर गाड़ी नही चलाना चाहिये किन्तु लोग मानते ही नही है और बाद में या तो दुर्घटना में ख़ुद का नुकसान कर लेते है या कभी कभी दुर्घट्ना में किसी निर्दोष व्यक्ति की जान भी  जा सकती है. ऐसी स्थिति में चालक के ऊपर गैर-इराद्तन-हत्या का मुकदमा हो सक्ता है.  इसे कहते है तनाव को आगे आकर आमंत्रण देना ! ऐसे  बहुत उदाहरण आपको आपके ही आसपास मिलेंगे. 

कई लोगो को आपने देखा होगा कि, पहले तो पैसा बरबाद करेंगे, अनाप-शनाप शॉपिंग करेंगे, जरूरत से ज्यादा खर्च करेंगे, अनावश्यक लोन ले लेंगे और फिर आर्थिक तंगी आ जाने पर ख़ुद भी तनाव में रहेंगे और अपने परिवार को भी संकट में डाल देंगे. इस प्रकार के आमंत्रित-तनाव से एक अन्य तनाव भी पैदा हो जायेगा,जो है गृह-कलह का तनाव. परिवार में रोज़ लड़ाई-झगड़े शुरू हो जायेंगे.  

तनाव के सामान्य प्रकार  - ( Types of common stress )

(1)- आर्थिक परेशानी (2)- गृह-कलह तथा अन्य पारिवारिक परेशानी (3)-असाध्य-रोग (4)- नौकरी चली गयी (5)- व्यापार ठप हो गया (6)- कोर्ट-केस (7)- प्रतिद्वंदिता (8) प्रेम-रोग ( 9) आपसी-रंजिश   (10) - ईर्श्या, द्द्वेश, जलन आदि !!

इस प्रकार हर व्यक्ति के जीवन में कई समस्याये होती है और एक या अधिक तनाव हमेशा साथ चलते है ! कुछ लोग धीरज से, विवेक से या अन्य रिश्तेदारों /  मित्रों के सह्योग से इन समस्याओं पर विजय पा जाते है, कुछ लोग ऐसे भी है, जिनको यह मालूम ही नही होता है कि "अब क्या करे" और घबरा जाते है ! कमजोर दिल वाले लोग समस्याओं से घिर कर आत्महत्या तक कर लेते है. ( शास्त्रों में आत्महत्या को बहुत गंभीर अपराध माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोग आत्महत्या करते है, उनकी अगले जन्म की कुंडली में शुभ-ग्रह कमजोर ही होते है और वे इस प्रकार अपना अगला जन्म भी बिगाड़ लेते है ! 

इस प्रकार जो लोग यहां बताई गई चारों बातें (अच्छे कर्म से पैसा कमाएं, सही जगह निवेश करें, चतुरता के साथ खर्च करें और धन का दुरुपयोग न करें) ध्यान रखते हैं, वे सदैव सुख प्राप्त करते हैं।जीवन एक नाव की तरह है, और आत्म-विश्वास और आत्म-बल दो  पत्वारो की तरह होती है ! जब हम समस्याओं से घिर जाते है, हम अपनी इन दो मज़बूत पत्वारो से समस्याओं - रुपी जल्धारा को पीछे कि ओर धकेल सकते है और इस तरह हमारी जीवन-रुपी नाव आगे बढ़ा सकते है !


समस्याएँ हर व्यक्ति के जीवन में आती है, और यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हमे आने वाली कैसी भी समस्या से कैसे निपटना चाहिये ! जब कोई व्यक्ति किसी बड़ी कठिनाई से जुझता है तो मन व तन दोनों असंतुलित होने लगते है, अवसाद कि स्थिति आने लगती है और यदि सही समय पर संभले नही तो फिर जीवन जीने कि इच्छा खत्म होने लगती है, आत्महत्या जैसे ग़लत विचार बार बार आते है जो बहुत हानिकारक है !


मै नीचे कुछ उपाय बता रहा हूँ, और यदि इन उपायों पर अमल किया जाए तो निश्चित ही लाभ होगा !    

(1) - धीरज रखे, घबराये नही, और अपने विचारों को संतुलत रखे ! नकारात्मक विचार जल्दी-जल्दी आयेंगे उनको महत्व न दे और सकारात्मक सोच रखे.

(2)- हमारी समस्या जिस प्रकार कि है उसके अनुसार उसके उपाय के बारे में जितने भी विकल्प सामने आते उन पर गहन विचार करे और यदि सम्भव हो तो अपने शुभ-चिंतकों से भी बात कर सकते है ! ये हमेशा याद रखे कि हर समस्या का सकारात्मक हल निकाला जां सकता है और परिवार को छोड़ देना या सोचना कि आत्म-हत्या करके समस्या का हल निकल जायेगा, ऐसे नकारात्मक विचार रखकर अपनी और परिवार कि समस्या को बढ़ाना ही है ! 

(3) ऐसे मौकों पर कभी कभी समय निकलने भी देना चाहिये, जो मदद करता है, क्योकि कई बार कोई दिन या सप्ताह खराब रहता है और धीरे धीरे समय अनुकूल होने लगता है ! किन्तु यदि आपात स्थिति है तो समस्या को तुरंत हल करना जरुरी हो जाता है ! अतः हमे ईश्वर पर विश्वास रखते हुए, आत्म-बल, आत्म-विश्वास, धीरज, और चतुराई जैसे गुणों को आत्म-सात करना चाहिये !

(4) "प्रार्थना" हमारे भीतर और बाहर के वातावरण को सकारात्मक बनाने में मदद करती है, अतः अपने धर्मानुसार मन्दिर, मस्जिद, या गुरुद्वारे जाकर प्रार्थना करना चाहिये, ध्यान, पूजा, योगा, आदि ऐसे मौकों पर बहुत लाभ पहुँचाते है और हमारे मन और तन को संतुलित करने में मदद करते है !  

इसके अलावा समस्या के प्रकार के अनुसार भी उपाय खोजना चाहिये और इस तरह जीवन को एक मज़बूत योध्दा की तरह जीना चाहिये न कि एक डरपोक इनसान की तरह ! 
------------------------------------------------------------
ज़िन्दगी, जब-जब होने लगे बेतरतीब,
आने लगे डरावने सपने, 
या फिर विचार अजीबोगरीब,
रुको, सम्भलो,रखो धीरज,
इसके पहले कि, दिल घबराने लगे,
निकालो कोई न कोई तरकीब !
सोचो, समझो, 
सलाह लो अपनों से,
करो पूजा और ध्यान,
देखो फिर निकलेगा,
हर समस्या का हल, और,
पाओगे ईश्वर को अपने बहुत क़रीब ! 
इसके पहले कि, दिल घबराने लगे,
निकालो कोई न कोई तरकीब !
ज़िन्दगी, जब-जब होने लगे बेतरतीब !!
--आशुतोष जोशी--


No comments:

Post a Comment