इस देश को कौन बचायेगा ?
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इसके अलावा मुख्य रुप से कहना पड़ेगा कि "डर" नाम कि कोई चीज ही नही है ! हर तरह के अपराधी, निर्भीक है, अपराध के पहले भी और अपराध के बाद पकड़े जाने के बाद भी यह निर्भीकता बने रहना , हमारे कमजोर सिस्टम को ही उजागर करता है !
इस तरह के या हर तरह के अपराधों पर काबू पाने के लिए क्या करने कि आवश्क्यता है, क्या हम कर रहे है ? ये एक विश्लेषण का मुद्दा है ! और सरकार तथा सामाजिक संस्थाओं को पहल करके इस विषय पर विस्तृत योजना के तहत काम करने कि आवश्क्यता है ! हम सब बयानबाजी करते है, और बयानबाजी होते हुये देखते है और सुनते भी है ! समाज में बदलाव केवल जन-आंदोलन से ही आ सकता है ! जन-आंदोलन की ताकत, सरकार की ताकत से अधिक प्रभावशाली प्रतीत हो रही है ! अण्णा जी का आंदोलन और अनिल जी की टीम के प्रयासों ने यह साबित भी कर दिया है !
देश के हालात यह बता रहे है, कि किसी बड़ी क्रांति का आगाज़ कभी भी हो सकता है ! और इसमे मुख्य भुमिका देश की जनता की ही होगी ! क्या देश की जनता इसके लिए तैयार है ?
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