Thursday, August 28, 2014

वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा|

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वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा|


सामग्री- श्री गणेश यंत्र, मूंगे की माला, लाल आसन, घी का दीपक (यं‍त्र की अनुपलब्धता में पार्थिव गणेश या गणेशजी का चि‍त्र भी प्रयोग कर सकते हैं)।
प्रथम- ‘ॐ गुं गुरुभ्योनम:’ की 4 माला जाप करें। पश्चात श्री गणेशजी का षोडषोपचार या पंचोपचार पूजन करें। स्मरण रहे- लाल वस्त्र पर चावल की ढेरी लगाकर गणेशजी को स्थापित करें। यंत्र इत्यादि न उपलब्ध हो तो सुपारी पर कलावा लपेटकर गणेशजी का ध्यान करें। पश्चात्
(1) साधारण मंत्र- ‘ॐ गं गणपतये नम:’ के 21-51 माला जप करें।
(2) ‘ॐ वक्रतुण्डाय हुं’
(3) जिन व्यक्तियों या परिवार पर ऋण का बोझ बढ़ता जा रहा हो, वे उपरोक्त गणपति मंत्र की जगह निम्न मंत्र को जपें।
‘ॐ गणेश ऋणं छिन्धि छिन्धि वरेण्यं हुं नम: फट्।’
(4) मंत्र जप करने में उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है अन्यथा परिणाम ठीक नहीं मिलेंगे। इसके लिए निम्नलिखित प्रार्थना अवश्य करें।
गाइये गणपति जगवन्दन, शंकर-सुवन भवानी नंदन।
सिद्धि-सदन गजवदन, विनायक, कृपासिंधु सुंदर सब लायक।
मोदक प्रिय, मुद मंगल दाता, विद्या वारिधि बुद्धि-विधाता।
मांगत तुलसीदास कर जोरे, बसहिं रामसिय मानस मोरे।
इसके पश्चात नित्य एक माला जप करें।
प्रात: उठकर श्री गणेश का ध्यान कर प्रणाम करें। किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में गणेश स्मरण आवश्यक है।
ध्यान योग्य निम्न बातें-
अपने घर, दुकान, फैक्टरी आदि के मुख्य दरवाजे के ऊपर तथा ठीक उसकी पीठ पर अंदर की तरफ गणेश प्रतिमा या चि‍‍त्र लगाना न भूलें। यदि न लगाई हो तो गणेश चतुर्थी के दिन जरूर लगाएं।
मुख्य दरवाजे के सामने कभी भी जूते-चप्पल आदि उतारें, बाईं तरफ उतारें।
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