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ईयर वैक्स: इसे कानों का मैल भी कहते हैं। इसके कारण सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। ईयरवैक्स कानों के कैनाल में होता है। कान के अंदर 24 मिलीमीटर की एक्सटरनल ऑडिटरी कैनाल होती है। इसमें सेरुमिनस और नाइलोसीबेशियस नामक ग्रंथियां पायीं जाती हैं, इनके स्राव से वैक्स यानी मैल बनती है। वैक्स की मात्रा प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है। अगर वैक्स मात्रा अधिक हो जाये तो इससे कान की कैनाल बंद हो जाती है।
ईयरवैक्स के कारण
यह कानों से संबंधित एक समस्या है। इस समस्या से केवल भारत में ही लगभग 6 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। कानों में अगर किसी नुकीली सुई से सफाई के दौरान भी कान में वैक्स बनने शुरू हो जाते हैं। ईयरफोन के इस्तेमाल के कारण भी वैक्स बनते हैं।
यह कानों से संबंधित एक समस्या है। इस समस्या से केवल भारत में ही लगभग 6 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। कानों में अगर किसी नुकीली सुई से सफाई के दौरान भी कान में वैक्स बनने शुरू हो जाते हैं। ईयरफोन के इस्तेमाल के कारण भी वैक्स बनते हैं।
सुनने में परेशानी
ईयर वैक्स का सबसे शुरूआती लक्षण सुनने में परेशानी के रूप में दिखता है। इसके कारण व्यक्ति के सुनने की क्षमता कम हो जाती है। क्योंकि वैक्स के कारण कानों में आवाज सही तरीके से नहीं जाती है। यह कान के कैनाल के ऊपर एक परत की तरह जम जाती है।
ईयर वैक्स का सबसे शुरूआती लक्षण सुनने में परेशानी के रूप में दिखता है। इसके कारण व्यक्ति के सुनने की क्षमता कम हो जाती है। क्योंकि वैक्स के कारण कानों में आवाज सही तरीके से नहीं जाती है। यह कान के कैनाल के ऊपर एक परत की तरह जम जाती है।
दर्द होना
ईयर वैक्स के कारण कानों में दर्द होने लगता है। कानों में दर्द की समस्या हमेशा बनी रहती है, यह दर्द 24 घंटे के लिए भी हो सकता है। शुरूआत में हल्का दर्द होता है, जो धीरे-धीरे बढ़ जाता है।
ईयर वैक्स के कारण कानों में दर्द होने लगता है। कानों में दर्द की समस्या हमेशा बनी रहती है, यह दर्द 24 घंटे के लिए भी हो सकता है। शुरूआत में हल्का दर्द होता है, जो धीरे-धीरे बढ़ जाता है।
चक्कर आना
कानों में होने वाली इस समस्या का असर दिमाग पर भी पड़ता है। चक्कर आना भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। इसके अलावा कान में अक्सर सांय-सांय की आवाज भी आती है।
कानों में होने वाली इस समस्या का असर दिमाग पर भी पड़ता है। चक्कर आना भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है। इसके अलावा कान में अक्सर सांय-सांय की आवाज भी आती है।
ईयरवैक्स का उपचार
कान में वैक्स जमा होने की समस्या को सामान्य नहीं लेना चाहिए, इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जिनके कान में बनने वाली वैक्स हार्ड हो जाती है उसे वैक्स डिजोल्व करने वाली दवाई से नरम किया जाता है, फिर उसे निकाला जाता है।
कान में वैक्स जमा होने की समस्या को सामान्य नहीं लेना चाहिए, इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जिनके कान में बनने वाली वैक्स हार्ड हो जाती है उसे वैक्स डिजोल्व करने वाली दवाई से नरम किया जाता है, फिर उसे निकाला जाता है।
कानों की सफाई
यदि वैक्स बनने के लक्षणों का पता शुरूआत में ही चल जाये तो अपने से आप उसकी सफाई कर सकते हैं। अगर वैक्स ज्यादा मात्रा में बनती है तो साल में कम से कम एक बार वैक्स जरूर साफ करवानी चाहिए।
यदि वैक्स बनने के लक्षणों का पता शुरूआत में ही चल जाये तो अपने से आप उसकी सफाई कर सकते हैं। अगर वैक्स ज्यादा मात्रा में बनती है तो साल में कम से कम एक बार वैक्स जरूर साफ करवानी चाहिए।
इनसे बचें
कानों में वैक्स की समस्या न हो इसके लिए कुछ चीजों से बचाव बहुत जरूरी है। कानों में तेल न डालें क्योंकि इससे संक्रमण हो सकता है। ईयर बड से भी सफाई न करें, यह वैक्स को और अंदर की तरफ धकेलता है। सड़क पर चलने वाले, स्टेशन या बस अड्डे पर बैठे कान साफ करवाने वालों से सफाई बिलकुल न करायें, यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
कानों में वैक्स की समस्या न हो इसके लिए कुछ चीजों से बचाव बहुत जरूरी है। कानों में तेल न डालें क्योंकि इससे संक्रमण हो सकता है। ईयर बड से भी सफाई न करें, यह वैक्स को और अंदर की तरफ धकेलता है। सड़क पर चलने वाले, स्टेशन या बस अड्डे पर बैठे कान साफ करवाने वालों से सफाई बिलकुल न करायें, यह संक्रमण का कारण बन सकता है।
सुनने की क्षमता बढ़ाने वाले आहार
आधुनिक जीवन में आने वाले परिवर्तन विशेष रूप से इयरफोन पर लगातार सुने जाने वाले संगीत के कारण लोगों में सुनने की क्षमता कम होती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक समय तक ऊंचा संगीत सुनने या बहुत अधिक शोर वाली जगह पर अधिक समय व्यतीत करने से व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम होने लगती है। लेकिन अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार को शामिल कर इस समस्या को रोका जा सकता है।
आधुनिक जीवन में आने वाले परिवर्तन विशेष रूप से इयरफोन पर लगातार सुने जाने वाले संगीत के कारण लोगों में सुनने की क्षमता कम होती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक समय तक ऊंचा संगीत सुनने या बहुत अधिक शोर वाली जगह पर अधिक समय व्यतीत करने से व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम होने लगती है। लेकिन अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार को शामिल कर इस समस्या को रोका जा सकता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड
सामन, ट्यूना, ट्राउट या सार्डिन में आमतौर पर उच्च मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। सुनने की क्षमता कम होने पर इसके अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है। अध्ययन से पता चला है, कि सप्ताह में दो बार मछली खाने वाले वयस्कों में मछली ना खाने वालों की तुलना में उम्र से संबंधित सुनवाई हानि का सामना 42 प्रतिशत तक कम होता है। शोधकर्ताओं का दावा है, कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ओमेगा-3 फैटी एसिड कान के संवेदी प्रणाली में रक्त वाहिकाओं को मजबूत करती है। मछली आपके कान की अच्छी मित्र है।
सामन, ट्यूना, ट्राउट या सार्डिन में आमतौर पर उच्च मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। सुनने की क्षमता कम होने पर इसके अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है। अध्ययन से पता चला है, कि सप्ताह में दो बार मछली खाने वाले वयस्कों में मछली ना खाने वालों की तुलना में उम्र से संबंधित सुनवाई हानि का सामना 42 प्रतिशत तक कम होता है। शोधकर्ताओं का दावा है, कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ओमेगा-3 फैटी एसिड कान के संवेदी प्रणाली में रक्त वाहिकाओं को मजबूत करती है। मछली आपके कान की अच्छी मित्र है।
एंटी ऑक्सीडेंट और फोलिक एसिड
एंटीऑक्सीडेंट का नियमित सेवन, विशेष रूप से पालक, शतावरी, सेम, ब्रोकोली, अंडे, जिगर या नट्स में पाया जाने वाला फोलिक एसिड सुनने की क्षमता की हानि के जोखिम को कम करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट कान के भीतरी ऊतकों को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कण को रोकने में मदद करता है।
एंटीऑक्सीडेंट का नियमित सेवन, विशेष रूप से पालक, शतावरी, सेम, ब्रोकोली, अंडे, जिगर या नट्स में पाया जाने वाला फोलिक एसिड सुनने की क्षमता की हानि के जोखिम को कम करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट कान के भीतरी ऊतकों को नुकसान पहुंचाने वाले मुक्त कण को रोकने में मदद करता है।
मैगनीशियम
नट, विशेष रूप से बादाम, काजू और मूंगफली, साथ ही दही, आलू और केले मैग्नीशियम के बहुत अच्छे स्रोत है। अध्ययन के अनुसार, यह सुनने की क्षमता कम होने का आम प्रकार यानी शोर प्रेरित सुनने की हानि (एनआईएचएल) को रोकने में मदद करता है।
नट, विशेष रूप से बादाम, काजू और मूंगफली, साथ ही दही, आलू और केले मैग्नीशियम के बहुत अच्छे स्रोत है। अध्ययन के अनुसार, यह सुनने की क्षमता कम होने का आम प्रकार यानी शोर प्रेरित सुनने की हानि (एनआईएचएल) को रोकने में मदद करता है।
जिंक
आप जिंक की स्वस्थ खुराक लेकर, उम्र के कारण होने वाले सुनने की क्षमता में कमी को आसानी से रोक सकते हैं। यह कानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जिंक समुद्री भोजन जैसे कस्तूरी, केकड़ा और झींगा और साथ ही पनीर और डार्क चॉकलेट में पाया जाता है।
आप जिंक की स्वस्थ खुराक लेकर, उम्र के कारण होने वाले सुनने की क्षमता में कमी को आसानी से रोक सकते हैं। यह कानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जिंक समुद्री भोजन जैसे कस्तूरी, केकड़ा और झींगा और साथ ही पनीर और डार्क चॉकलेट में पाया जाता है।
विटामिन सी, ई और ग्लूटेथियोन
एंटीऑक्सीडेंट की तरह विटामिन सी/ई मुक्त कणों की देखभाल करता है, और आपकी समग्र प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। इस प्रकार से यह कान में होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करता है। यह विटामिन आपको आसानी से सब्जियों (जैसे शिमला मिर्च) और फल (जैसे संतरे) में मिल जायेगें।
एंटीऑक्सीडेंट की तरह विटामिन सी/ई मुक्त कणों की देखभाल करता है, और आपकी समग्र प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। इस प्रकार से यह कान में होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करता है। यह विटामिन आपको आसानी से सब्जियों (जैसे शिमला मिर्च) और फल (जैसे संतरे) में मिल जायेगें।
विटामिन डी
विटामिन डी, प्राकृतिक रूप से बहुत कम खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, लेकिन वजन नियंत्रण से हड्डी गठन को लेकर स्वास्थ्य के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण होता है। अभी हाल ही में हुए अध्ययन से पता चला है कि यह सुनने की क्षमता के नुकसान की रोकथाम में भी सहायता करता है। विटामिन डी में विद्यमान एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कान में मौजूद छोटी हड्डियों को मजबूत बनाते है। विटामिन डी आपको सूरज की रोशनी, मशरूम, माइक्रोएलगी, और लाइकेन से मिलता है।
विटामिन डी, प्राकृतिक रूप से बहुत कम खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, लेकिन वजन नियंत्रण से हड्डी गठन को लेकर स्वास्थ्य के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण होता है। अभी हाल ही में हुए अध्ययन से पता चला है कि यह सुनने की क्षमता के नुकसान की रोकथाम में भी सहायता करता है। विटामिन डी में विद्यमान एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कान में मौजूद छोटी हड्डियों को मजबूत बनाते है। विटामिन डी आपको सूरज की रोशनी, मशरूम, माइक्रोएलगी, और लाइकेन से मिलता है।
अल्फा लिपोइक एसिड
अल्फा लिपोइक एसिड एक एंजाइम और एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर में थोड़ी मात्रा में बनता है और हमारे खाद्य पदार्थों से थोड़ी मात्रा में मिलता है। यह मुक्त कणों के नुकसान से सुनने की क्षमता का बचाव करता है, तंत्रिका तंत्र के कार्य का समर्थन करता है और भीतरी कान के बालों की कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया उत्पन्न में मदद करता है। यह पालक, मीठे आलू, और ब्रोकोली में पाया जाता है।
अल्फा लिपोइक एसिड एक एंजाइम और एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर में थोड़ी मात्रा में बनता है और हमारे खाद्य पदार्थों से थोड़ी मात्रा में मिलता है। यह मुक्त कणों के नुकसान से सुनने की क्षमता का बचाव करता है, तंत्रिका तंत्र के कार्य का समर्थन करता है और भीतरी कान के बालों की कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया उत्पन्न में मदद करता है। यह पालक, मीठे आलू, और ब्रोकोली में पाया जाता है।
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