Monday, June 2, 2014

जानिए फ्री सर्विस देने वाली बेवसाइट, पैसा कैसे कमातीं हैं

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सकीना बबवानी

मुंबई में रहने वाली ऋतिका देसाई एक ऑनलाइन पोर्टल को ब्राउज कर रही थीं, जिसने फ्री में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का ऑफर दिया था। तभी स्क्रीन पर ’10 पेज का टर्म्स एंड कंडीशंस और प्राइवेसी पॉलिसी एग्रीमेंट’ पॉप अप हुआ।
इसकी लिखावट बहुत छोटी थी और वाक्य बहुत लंबे। इसलिए देसाई ने बगैर पढ़े ‘आई एग्री’ बटन दबा दिया और टैक्स फाइल करने में जुट गईं। कुछ दिनों बाद उनके पास फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म्स की ओर से बहुत ज्यादा कॉल आने लगीं। बैंकों की ओर से भी इनवेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स के ऑफर आने लगे।
ऋतिका ने बताया, ‘पहले मैंने सोचा कि यह टेली-मार्केटिंग है। हालांकि जब इनमें से कुछ ने मेरे बैंक एकाउंट नंबर का जिक्र किया, तब मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ हुई है।’ एक कॉलर से पूछताछ करने पर उन्हें पता चला कि उसे ऋतिका के बारे में जानकारी टैक्स फाइलिंग पोर्टल से मिली है। इसके बाद उन्होंने उस पोर्टल को फोन किया। वहां से उन्हें बताया गया कि ऋतिका ने पोर्टल को अपनी इंफॉर्मेशन शेयर करने का अधिकार दिया है। ऋतिका ने कहा, ‘दरअसल ‘आई एग्री’ बटन मैंने ही क्लिक किया था, इसलिए मैं उन्हें रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती थी।’
ऋतिका जैसे लोगों की कमी नहीं है, जो वेबसाइट पर यूजर एग्रीमेंट्स बगैर पढ़े स्वीकार कर लेते हैं और इस तरह से कई अधिकार गंवा बैठते हैं। गोयनका लॉ एसोसिएट्स के एडवोकेट रवि गोयनका ने बताया, ‘लोगों को लगता है कि इन एग्रीमेंट्स से उनका नुकसान नहीं होगा। ये डॉक्युमेंट्स इतने लंबे और बोरिंग होते हैं कि इन्हें पूरा पढ़ना बहुत मुश्किल होता है।’ ऐसे में आपको क्या करना चाहिए?
किन बातों का ख्याल रखें?
आदर्श स्थिति तो यही है कि आप यूजर एग्रीमेंट की हर लाइन पढ़ें। अगर आपको यह उबाऊ लगता है, तो हम यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं कि आपको किन बातों पर अपनी हामी भरनी चाहिए। पहला, जो भी बातें बोल्ड में लिखी हों, हाइलाइटेड हों या कैप्स में लिखी हों, उन्हें जरूर पढ़ें। अगर टेक्स्ट हाइलाइट किया गया है, तो इसका मतलब यह है कि वह इंपॉर्टेंट है। दूसरा, जो क्लॉज आपके लिए सबसे जरूरी हों, उन्हें CTRL + F ऑप्शन के साथ सर्च करिए। इसके लिए आपको कीवर्ड टाइप करने होंगे। इससे आप सीधे उन क्लॉज तक पहुंच सकते हैं, जो आपके लिए मायने रखते हैं।
अगर आप किसी वेबसाइट के जरिए सर्विस ले रहे हों, तो सबसे पहले अपने और वेबसाइट के ओनरशिप राइट्स को समझना जरूरी होता है। मिसाल के लिए, अगर आप डॉक्युमेंट्स या फोटो शेयर करने के लिए किसी वेबसाइट का इस्तेमाल कर रहें हों, तो आपको पता होना चाहिए कि इन पर वेबसाइट के राइट्स हैं या नहीं? कुछ यूजर एग्रीमेंट्स इस तरह से तैयार किए जाते हैं, जिनसे आपके वर्क को होस्ट करने वाली वेबसाइट को उसे री-प्रॉड्यूस करने का अधिकार मिलता है।
कुछ सोशल नेटवर्किंग साइट्स आपके फोटो का कमर्शियल इस्तेमाल करने का राइट अपने पास रखते हैं। ओनरशिप के अलावा आपको वेबसाइट के राइट्स भी समझने चाहिए, खासतौर पर थर्ड पार्टी से आपकी इंफॉर्मेशन शेयर किए जाने के बारे में। मिसाल के लिए गूगल के टर्म्स ऑफ सर्विसेज में एक पूरा सेक्शन ‘योर कंटेंट इन आवर सर्विस’ पर है। इसमें सर्विस प्रोवाइडर के आपके कंटेंट पर राइट्स के बारे में बताया गया है। इसमें एक सेक्शन सर्विस के मिसयूज के बारे में भी है। अगर आप इस नियम के खिलाफ जाकर कुछ करते हैं, तो कंपनी आप पर मुकदमा कर सकती है।
अगर आप ऑनलाइन प्रॉडक्ट्स खरीद रहे हैं , तो आपको उन प्वाइंट्स पर ध्यान देना होगा , जो सर्विस से अलग होते हैं। डिस्क्लेमर पर ध्यान दीजिए। इसमें अक्सर लिखा रहता है कि प्रॉडक्ट अगर डैमेज्ड या सब – स्टैंडर्ड है , तो उसके लिए पोर्टल जवाबदेह नहीं होगा। वेबसाइट की पेमेंट पॉलिसी समझिए।

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