Wednesday, July 9, 2014

विदुर नीति जो आपको धनवान बना दें

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जीवन में सुख कई रूपों में मिलते हैं। इनमें अर्थ कामना यानी भोगने लायक विषय, वस्तु या साधन की चाहत छोटे-बड़े रूप में हर इंसान करता है। दरअसल, सुख पाने के लिए चाहे वह धन ही क्यों न हो, ज्ञान, गुण व शक्ति निर्णायक होते हैं।

धन तो खास तौर पर व्यक्ति के शरीर, मन और व्यवहार में असाधारण ऊर्जा और विश्वास भर देता है। वहीं, धन के अभाव से बलवान व्यक्ति का जोश, उत्साह और मानसिक बल भी डांवाडोल हो जाता है। यही वजह है कि सांसारिक जीवन में सुख बंटोरने की चाहत से व्यक्ति धन कमाने ही नहीं, बल्कि उसे बचाने के लिए भी भरपूर कोशिश करता है।
इंसान की धन की इसी जरूरत को ही ध्यान में रखकर विचारे करें तो क्या कोई ऐसा उपाय है, जिससे कोई भी व्यक्ति धन कमा और बचा सकता है? धन की इसी अहमियत को समझाते हुए हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में लक्ष्मी का अधिकारी बनने के लिए विचार और कर्म से जुड़े 4 अहम सूत्र बताए गए हैं। जानिए ऐसे चार तरीके, जिनको अपनाकर ज्ञानी हो या अल्प ज्ञानी दोनों ही धनवान बन सकते हैं-
विदुर नीति के मुताबिक-
श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते। 

दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।

इस श्लोक में साफ तौर पर धन बटोरने व बचाने के चार सूत्र बताए गए हैं। समझिए इनका शाब्दिक व व्यावहारिक मतलब-
पहला अच्छे कर्म से लक्ष्मी आती है। व्यावहारिक नजरिए से परिश्रम या मेहनत और ईमानदारी से किए गए कामों से धन की आवक होती है।
दूसरा प्रगल्भता सरल शब्दों में इसका मतलब है धन का सही प्रबंधन यानी बचत से वह लगातार बढ़ता है।
तीसरा चतुराई यानी अगर धन का सोच-समझकर उपयोग, आय-व्यय का ध्यान रखा जाए, तो ज्यादा से ज्यादा आर्थिक संतुलन बना रहता है।
चौथा और अंतिम सूत्र संयम यानी मानसिक, शारीरिक और वैचारिक संयम रखने से धन की रक्षा होती है। सरल शब्दों में कहें तो सुख पाने और शौक पूरा करने की चाहत में धन का दुरुपयोग न करें।
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